हम वेसि कविता लेखुनु
दाज्यू कसि कविता सुणला, तुम बताओ जसि कला हम वेसि कविता लेखुनु। दाज्यू कसि कविता सुणला,
ख़ाली हई गौं कि कविता, या हर ठुल सहरों में पहाड़ियुक् भौत ठुलि कॉलोनिक कविता सुणु।
टूटी छानी धुरपाई उझड़ि गुठ्यार, या बुकिलू जामी खोइक या भ्यार तेपुर महलुक कविता सुणु।
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