Wednesday 17 January 2018

एक ही रंग की रंगत से आज का कविता पोस्टर अपनी श्रीमती सीमा को समर्पित

सीमा नीच वे रूपा की
ज्वा तेरी च पाई,
हैंसदी फ्योंलडी,
बंसदी मेल्वडी़
त्वेमा च समाई,
हे मेरी रूपवळी
सीमा अगर रूप की च त
सीमा से भी पार छै तू।।
अतुल गुसाईं जाखी (सर्वाधिकरा सुरक्षित).

Monday 15 January 2018

एक बार फिर नेगी जी की डायरी से...

ऐसा बीज ये बोया किसनें
अमन चैन ये खोया किसनें
बता तिरगें दोष हमारा
मानवता क्यूं लगी है पिसने।
नहीं सुरक्षित कोई घर में
नहीं सुरक्षित कोई डगर में
किसने छीनी खुशी गांव की
नहीं सुरक्षित कोई शहर में।

Wednesday 10 January 2018

बी. मोहन नेगी जी की...

2018 (कविता पोस्टर) की शुरूआत बी. मोहन नेगी जी की कविता पहाड़ो आदिम बटि
श्रद्धांजलि.......