Monday 19 November 2018

बिगरैला मुलुक बिगरैला लोग..

वैसे तो भैजी हरीश ध्यानी जी खुद ही एक बडे और बहुत अच्छे चित्रकार है लेकिन मुझे भी कविता अच्छी लगी और मैने भी दो चार रंग लपोड दिये...
बिगरैला मुलुक बिगरैला लोग,
बिगरैला फूलु दगड़ खुदेड़ पराण,
धै लगांदु बचपन ! 
घार जांण
घार जांण
सिद्धराज कु फूल खिल्यू!!!


Sunday 23 September 2018

हे मेरी आंख्युं का रतन..


हे मेरी आंख्युं का रतन बाला स्ये जादी,बाला स्ये जादी दूध भात दयोलू मी ते तैन बाला स्ये जादी-२ हे मेरी आंख्युं का रतन बाला स्ये जादी-४ मेरी औंखुडी पौन्खुड़ी छै तू, मेरी स्याणी छै गाणी मेरी स्याणी छै गाणी मेरी जिकुड़ी उकुड़ी ह्वेल्यु रे स्येजा बोल्युं मानी स्येजा बोल्युं मानी

Monday 2 July 2018

ईश्वर इन सबकी आत्मा को शांति प्रदान करे...

पौड़ी जिले के धुमाकोट के निकट--मिनी बस 28 सिटर में 55 सवारी थे।। हादसे मैं सभी की मौत,, बताया जा रहा है एक ही परिवार के 11 लोग इस बस मैं थे। ईश्वर इन सबकी आत्मा को शांति प्रदान करे।।।

Monday 18 June 2018

कश्मीर में फिर से एक जवान शहीद हो गया

कश्मीर में फिर से एक जवान शहीद हो गया
एक माॅ का बेटा माॅ के लिए कुर्बान हो गया

Sunday 15 April 2018

बेरोजगारी चिलगठ (संगळ)....

बेरोजगारी चिलगठ (संगळ)
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लक्ष्मण रेखा तक पार कैरियाली,
मि बेरोजगारी कू चिलगठ छौ।
लक्ष्मण रेखा का नशा मा
कळचोणी तौलाउन्द डुब्यूॅ छौं।।
नौकरी का बाना ब्वे का सौंऊ
मुसदुळौं भी डबखणू रौऊ।।
कभी भदळी त कभी पतेलाउन्द
नौकरी बास सुंगणू छौऊ।।
रीती भांडी वैकेन्सी नी च बल
कई चक्कर ड्वारून्द भी गौऊ।।
सरकरी स्कूल, अस्पलाळ सब खाली हुयां छन
कै मा ब्वन कै थै समझऊ।
बैठ्यूं रैन्दू कि कलाळ पकडी़
मि बेरोजगारी कू चिलगठ छौ।
अर सोचणू रैंदू!
जाखी तु यखुली नी छै बल
बहुत छन चिलगढ़ हुयॉ।
क्वी कुठारून्द त क्वी
बगसाउन्द डिग्री दगड़ी छन सियॉ।।
अतुल गुसांई जाखी

आज के हालात देख कर बहिन रामेश्वरी नादान की कविता पे मेरा ये पोस्टर...


Wednesday 17 January 2018

एक ही रंग की रंगत से आज का कविता पोस्टर अपनी श्रीमती सीमा को समर्पित

सीमा नीच वे रूपा की
ज्वा तेरी च पाई,
हैंसदी फ्योंलडी,
बंसदी मेल्वडी़
त्वेमा च समाई,
हे मेरी रूपवळी
सीमा अगर रूप की च त
सीमा से भी पार छै तू।।
अतुल गुसाईं जाखी (सर्वाधिकरा सुरक्षित).

Monday 15 January 2018

एक बार फिर नेगी जी की डायरी से...

ऐसा बीज ये बोया किसनें
अमन चैन ये खोया किसनें
बता तिरगें दोष हमारा
मानवता क्यूं लगी है पिसने।
नहीं सुरक्षित कोई घर में
नहीं सुरक्षित कोई डगर में
किसने छीनी खुशी गांव की
नहीं सुरक्षित कोई शहर में।

Wednesday 10 January 2018

बी. मोहन नेगी जी की...

2018 (कविता पोस्टर) की शुरूआत बी. मोहन नेगी जी की कविता पहाड़ो आदिम बटि
श्रद्धांजलि.......