Thursday 11 August 2016

नरेंद्र सिंह नेगी जी को जन्म दिन शुभकामनये

नेगी जी का गीत कुराण छन भुला।
ये गढ़भूमी पहाड़ मा पुराण छन भुला।।
नेगी जी का गीत रुवांद छन भुला।
देश बटी देवभूमि मा बुलांद छन भुला।।
नेगी जी का गीत हमरी संस्कृती बचांद छन भुला
नेगी जी का गीत भ्रष्ट नेतावों हिलांद छन भुला।
नेगी जी का गीत पहाड़े रिवाज-रीत छन भुला
नेगीजी का गीत तेरा भी मेरा भी मीत छन भुला।
नि ह्वे सकद क्वी गढ़रत्न नेगी जी जन।
ह्वे भी जालू त ऊ नेगी जी का छींट छन भुला।
अतुल गुसाईं जाखी ( सर्वाधिकार सुरक्षित )

Monday 1 August 2016

द्वी दिनै की हौर छिन ई खैरी, मुठ बोटी कि रख ...

द्वी दिनै की हौर छिन ई खैरी, मुठ बोटी कि रख 
तेरी हिकमत आजमाणू बैरी, मुठ बोटी कि रख, 
ईं घणा डाळौं बीच छिर्की आलो घाम ये रौला मा भी 
सेक्की पाळै द्वी घडी हौर छिन, मुठ बोटी कि रखा

(दो दिनों का और है ये कष्ट, मुट्ठी ताने रख/ तेरी हिम्मत आजमा रहा है बैरी, मुट्ठी ताने रख/इन घने पेड़ों के अंधेरे को चीर कर भी आएगा उजाला/ पाले (तुषार) की हेकड़ी दो वक्त की और है, मुट्ठी ताने रख।)