Monday 19 November 2018

बिगरैला मुलुक बिगरैला लोग..

वैसे तो भैजी हरीश ध्यानी जी खुद ही एक बडे और बहुत अच्छे चित्रकार है लेकिन मुझे भी कविता अच्छी लगी और मैने भी दो चार रंग लपोड दिये...
बिगरैला मुलुक बिगरैला लोग,
बिगरैला फूलु दगड़ खुदेड़ पराण,
धै लगांदु बचपन ! 
घार जांण
घार जांण
सिद्धराज कु फूल खिल्यू!!!


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