Monday, 15 January 2018

एक बार फिर नेगी जी की डायरी से...

ऐसा बीज ये बोया किसनें
अमन चैन ये खोया किसनें
बता तिरगें दोष हमारा
मानवता क्यूं लगी है पिसने।
नहीं सुरक्षित कोई घर में
नहीं सुरक्षित कोई डगर में
किसने छीनी खुशी गांव की
नहीं सुरक्षित कोई शहर में।

No comments:

Post a Comment