Friday, 30 December 2016
Wednesday, 30 November 2016
Monday, 21 November 2016
जगमोहन सिंह जयाड़ा ‘जिज्ञासू’
नाम: जगमोहन सिंह जयाड़ा ‘जिज्ञासू’
जन्म तिथि: 21 जुलाई, 1963
दूरभाष: 09654972366
स्थाई पता: ग्राम: बागी-नौसा, पो.औ.- कुन्डड़ी, पटटी- चंद्रवदनी,
संप्रति: उर्वरक विभाग, भारत सरकार में सहायक अनुभाग अधिकारी के पद पर कार्यरत।
पिता: स्व. कुन्दन सिंह जयाड़ा
माता: स्व. श्रीमती छीला देवी
जन्म तिथि: 21 जुलाई, 1963
दूरभाष: 09654972366
स्थाई पता: ग्राम: बागी-नौसा, पो.औ.- कुन्डड़ी, पटटी- चंद्रवदनी,
टिहरी गढ़वाल, उत्तराखण्ड-249122
वर्तमान पता: सी-20,
गली संख्या-3, एम-।। ब्लाक, संगम विहार, नई दिल्ली-110080संप्रति: उर्वरक विभाग, भारत सरकार में सहायक अनुभाग अधिकारी के पद पर कार्यरत।
पिता: स्व. कुन्दन सिंह जयाड़ा
माता: स्व. श्रीमती छीला देवी
Monday, 14 November 2016
Sunday, 6 November 2016
Saturday, 22 October 2016
Thursday, 8 September 2016
Tuesday, 30 August 2016
Monday, 29 August 2016
Thursday, 11 August 2016
नरेंद्र सिंह नेगी जी को जन्म दिन शुभकामनये
नेगी जी का गीत कुराण छन भुला।
ये गढ़भूमी पहाड़ मा पुराण छन भुला।।
ये गढ़भूमी पहाड़ मा पुराण छन भुला।।
नेगी जी का गीत रुवांद छन भुला।
देश बटी देवभूमि मा बुलांद छन भुला।।
नेगी जी का गीत हमरी संस्कृती बचांद छन भुला
नेगी जी का गीत भ्रष्ट नेतावों हिलांद छन भुला।
नेगी जी का गीत पहाड़े रिवाज-रीत छन भुला
नेगीजी का गीत तेरा भी मेरा भी मीत छन भुला।
नि ह्वे सकद क्वी गढ़रत्न नेगी जी जन।
ह्वे भी जालू त ऊ नेगी जी का छींट छन भुला।
अतुल गुसाईं जाखी ( सर्वाधिकार सुरक्षित )
देश बटी देवभूमि मा बुलांद छन भुला।।
नेगी जी का गीत हमरी संस्कृती बचांद छन भुला
नेगी जी का गीत भ्रष्ट नेतावों हिलांद छन भुला।
नेगी जी का गीत पहाड़े रिवाज-रीत छन भुला
नेगीजी का गीत तेरा भी मेरा भी मीत छन भुला।
नि ह्वे सकद क्वी गढ़रत्न नेगी जी जन।
ह्वे भी जालू त ऊ नेगी जी का छींट छन भुला।
अतुल गुसाईं जाखी ( सर्वाधिकार सुरक्षित )
Monday, 1 August 2016
द्वी दिनै की हौर छिन ई खैरी, मुठ बोटी कि रख ...
द्वी दिनै की हौर छिन ई खैरी, मुठ बोटी कि रख
तेरी हिकमत आजमाणू बैरी, मुठ बोटी कि रख,
ईं घणा डाळौं बीच छिर्की आलो घाम ये रौला मा भी
सेक्की पाळै द्वी घडी हौर छिन, मुठ बोटी कि रखा
(दो दिनों का और है ये कष्ट, मुट्ठी ताने रख/ तेरी हिम्मत आजमा रहा है बैरी, मुट्ठी ताने रख/इन घने पेड़ों के अंधेरे को चीर कर भी आएगा उजाला/ पाले (तुषार) की हेकड़ी दो वक्त की और है, मुट्ठी ताने रख।)
तेरी हिकमत आजमाणू बैरी, मुठ बोटी कि रख,
ईं घणा डाळौं बीच छिर्की आलो घाम ये रौला मा भी
सेक्की पाळै द्वी घडी हौर छिन, मुठ बोटी कि रखा
(दो दिनों का और है ये कष्ट, मुट्ठी ताने रख/ तेरी हिम्मत आजमा रहा है बैरी, मुट्ठी ताने रख/इन घने पेड़ों के अंधेरे को चीर कर भी आएगा उजाला/ पाले (तुषार) की हेकड़ी दो वक्त की और है, मुट्ठी ताने रख।)
Sunday, 24 July 2016
Saturday, 23 July 2016
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बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ (इसका अर्थ है लड़कियों को बचाना और शिक्षित करना) योजना की शुरुआत भारतीय सरकार द्वारा 2015 के जनवरी महीने में हुई। इस ...
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